विराट रूप

जब रण में अर्जुन घबराया।

जब उसने युद्ध न करने को अपने भय को दिखलाया।

तब परमेश्वर ने कृपा करके उसको विराट रूप दिखलाया ।

जितना दीप्ति अचानक था हरि रूप भयानक था ।

ज्वाल छोड़ते मुख थे उनके और सकल ब्रम्हांड समाया था।

तीन काल घूमते थे जिसमे क्षण क्षण को दिखलाया था।

पांडव विजय थे उसमे , कौरवों को मृत दिखाया था।

इतना तेज था उसमें की सुर्य लोक शरमाया था।

कर में धनुष टंकार लिए वज्र का घोर प्रहार लिए।

सब देव समाहित थे उसमे , सुगन्दीत पुष्पओं का हार लिए।

सब अस्त्रो से सजा हुआ सुदर्शन उंगली समाया था।

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