Categories: मुक्तक
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अपहरण
” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
“कवि हूँ मैं सरयू तट का “
“कवि हूँ मैं सरयू तट का ” कवि हूँ मैं सरयू तट का समय चक्र के उलट पलट का मानव मर्यादा की खातिर सिर्फ अयोध्या…
हाथ की रेखाएं न बदनाम कर डालो
हाथ की रेखाएं न बदनाम कर डालो कुछ नज़र अपने करम पर भी डालो तेरा वज़ूद खड़ा एक गुनहगार सा क्या हर्ज़ खुद को कातिल…
मेरे मोहल्ले में स्कूल खुलने दो
मेरे मोहल्ले में न मंदिर बनाओ … न मस्ज़िद बनाओ यदि बनाना ही है तो एक स्कूल बनाओ मेरे मोहल्ले में न गीता का…
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Nice
👌👌