शोले ही शोले

ए रवि, शरहद पे शहीद होने वाले ।
थे वे सभी , वतन के रखवाले।।
हिन्दुस्तान , क्यों न नाज़ करे।
जब सपूत ही निकले, वतन के मतवाले।।
दिल्लगी करना, हमने सिखा ही कहाँ ।
धधक रहे हैं देखो, शोले ही शोले।।
गोला बारूद, ए सब है खेल खिलौने।
डरना छोड चूके है, वतन पे हम है मिटने वाले।।
हम अकेले दस पर, भाड़ी पर जायेंगे।
हम वो है अपने,भारत के दिलवाले।।

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