साझा दुःख
माई री
हम दोनों का दुःख साझा है.।
तू कुम्हलाई
तू मुरझाई
््अंग-अंग तेरे पड़ी बिवाई
्अंबर हारा
दस दिश हारे
सूख गया आंखों का पानी
तू ही बतला
तुझ पर रोऊं या
बाबा की निर्जीव देह पर
माई री
हम दोनों का दुःख साझा है
हर नव कोंपल में
उस की सूरत
हर डाली उसका ही कांधा है
माई री
बाबा का यह सच
हम दोनों का ही साझा है
हम दोनों का दुःख साझा है
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वेलकम
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