Categories: शेर-ओ-शायरी
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
यह कैसा दिन आया है
कैसा मंजर यह आया है, चहुंओर अंधेरा छाया है! कितने कुलदीपक बुझ ही गए, कितने परिवार यू उजड़ गए, गर नहीं सचेते अब भी तो,…
खुशबू
नित भाव मन मे उमड़ रहे है किन्तु लेखनी साथ न देती। चहुँओर खुशबू को है बिखरना परन्तु सरल समीर साथ न देती।।
बहते पवन को किसने देखा?
न तुमने देखे न मैंने देखा। बहते पवन को किसने देखा? जुल्फ चुनरिया उड़ते जब जब। बहती हवाएँ समझो तब तब।। बादलों को जो चलते…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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