सुबह मेरी
बेहया रात से गले मिल कर
आई है सुबह मेरी
कि धूप छांव का आलम
लाई है सुबह मेरी
मेरी गज़ल भी थी जो लिखी थी एक दिन मैने
उसकी इबादत में
उस गज़ल के कुछ पन्ने समेट लाई है सुबह मेरी
किसे पुकार रहा है ये मेरा जिगर
बस एक फ़िक्र और भी लाई है सुबह मेरी
अदावतें निभा कर था जो खो ही गया
उसे ढूँढ कर लाई है सुबह मेरी
राहे सुखन में मिट गया तगाफुल उसका
हमनवाई का बहाना लाई है सुबह मेरी
Nice
थैंक्स
सुंदर अभिव्यक्ति
थैंक्स
Nice
धन्यवाद
Awesome
थैंक्स
Nyc
धन्यवाद
बहुत सुंदर