हरदम कौन ये मेरे दिल में…..!

हरदम  कौन  ये  मेरे  दिल  में…..

हरदम  कौन  ये  मेरे  दिल  में, सुख  में,  

दुःख  में,  हर  मुश्किल  में,

हर्ष  में  मेरे,   या  अश्कों  में, गीत  मजे  से  गाता  है,

शब्द  कहाँ  से  लाता  है,  

धुन  भी  लेकर  आता  है …….

हरदम  कौन  ये  मेरे  दिल  में, गीत  मजे  से  गाता  है……..

कभी    समझा,     समझूंगा, कौन  है  ये,  

क्या  नाता  है,

क्यूँ  इसने  इस  मेरे दिल  को  अपना  ही  घर  माना  है,

इसकी  क्या उम्मीद  है  मुझसे,  

मुझमे  क्या  ये  पाता  है,

जो  अनजाने  में  अर्पित  सा  हर  गीत  उमड़  कर  आता  है,

शब्द  कहाँ  से  लाता  है,   धुन  भी  लेकर  आता  है…….

हरदम  कौन  ये  मेरे  दिल  में, गीत  मजे  से  गाता  है……..

 

कहते  लोग  ये  गीत  मेरे  हैंये  सच  यारों  बात  नहीं,

चाहे  हो  ये  लेखन  मेरा,  शब्द्सुधा  ये  मेरी  नहीं,

मुख  मेरे  आयी  हो  कविता,  

पर  ये  गुंजन  मेरा  नहीं  है,

मुझमे  ही  रहकर  जो  मुझसे  अलग  अलग  सा  रहता  है,

वो  ही  सबकुछ  करता  है,

शब्द  कहाँ  से  लाता  है,  

धुन  भी  लेकर  आता  है…….

हरदम  कौन  ये  मेरे  दिल  में, गीत  मजे  से  गाता  है ……..

                         ” विश्व नन्द

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