हर कोई रूह से अनजान है
किसी ने कहा था कभी कि मैं उड नहीं सकती
अब जमाना मेरी उडान देख के हैरान है
कभी लोग मेरी खामोशी की शिकायत करते थे
अब मेरे बोलने से परेशान है
आज तक समझ न सकी दुनिया मुझको
हर कोई रूह से अनजान है…..
किसी ने कहा था कभी कि मैं उड नहीं सकती
अब जमाना मेरी उडान देख के हैरान है
कभी लोग मेरी खामोशी की शिकायत करते थे
अब मेरे बोलने से परेशान है
आज तक समझ न सकी दुनिया मुझको
हर कोई रूह से अनजान है…..
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great..nice…awesome!
thanks sumit
Naa dekh saka koi chehra tera,
Aaj tere noor se hairaan hai 🙂
nice ankur
कोई भरोसा नहीं साँसों का ….
क्योकि हम तो यहाँ पल – दो – पल के मेहमान हैँ ..
nice friend..thanks
Most welcome ji…
nice..short and very sweet poem
thanks preeti..
nice
thanks
वाह