हिसाब
इससे बत्तर हयात में और क्या होगा,
ख़्वाबों का कारवां पल में ख़ाक होगा,
देखकर मंजर कुछ अजीब लम्हों का,
जज्बातों का मेहर पल में राख होगा।।
हर फरेब का चेहरा अब बेनकाब होगा,
सच से रूबरू हो; हटा सर से नकाब होगा,
पर्दा लगाकर कब तक छुपते रहोगे साहब!
अब तो हर जुर्म का हिस्से में हिसाब होगा।
मर्यादाओं से ओझिल बेबुनियादी आगाज होगा,
कभी ना समझी उस साजिश का इंतकाम होगा,
भूल गए हम भी ताख पर रखे खतो का हिसाब,
जो कभी ना हुआ वो सब कुछ बेहिसाब होगा।।
स्वरचित रचना
नेहा यादव
Wah
बहुत खूब
Vehtar
Wah kya khub
वाह
Wah
Wah
क्या बात