हे नीलकंठ महादेव
भस्म का श्रृंगार करके
मृग छाल को धारण करके
गले में सांपों का हार पहन के
गंगा को जटा में बांध के
तीनों लोक में हो देवों के देव
हे नीलकंठ शंकर महादेव
डमरु को हाथों में लेकर
नन्दी पर संवार होकर
त्रिशूल को अस्त्र बनाकर
दया धर्म को शस्त्र बनाकर
तीनों लोक में हो देवों के देव
हे नीलकंठ शंकर महादेव
महेश गुप्ता जौनपुरी
Sunder
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Nice
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