अंधियारा उजियारा का क्या संबंध है ?

अंधियारा उजियारा का क्या संबंध है ?
जैसे जिन्दगी में कभी दुःखों का पहाड़ है ।
तो कभी पवित्र आँगन में बहार है ।
जैसे सावन में मेघ के जल धरा के लिए अमृतसमान है ।
वैसे ही जिन्दगी कभी अंधियारों का घर है ।
तो कभी उजियारा नर के संग है ।
नर के प्रारब्ध हरि के माया से भिन्न है ।
जो नर जैसे कर्म करत वैसे ही पल पायत है ।
नर के आगे सारे मान-हानि के प्रश्न है।
पर कुछ मान के संग तो कुछ अपमान के साथी है।
किसका क्या है जहां में ?
ये अंधेरा का वक्त बताता है ।
उजाला सवेरा सदा किसके संग है ।
दुख-सुख तो जिन्दगी के दो पल है ।
जहाँ जिन्दगी के मौज है, वहीं थोड़ी तो किनारा है ।
इंसान का भ्रम कुछ ऐसा है ?
मानो उसके लिए सारा जहां भौतिक रत्न स्थायी है ।
कुछ पल की तो देरी, उसके बाद सभी चीजों का पहचानना है ।
अंधियारा उजियारा में क्या संबंध है ।
जैसे जिन्दगी कभी दुःखों का पहाड़ है,
तो कभी पवित्र आँगन में बहार है ।
कवि विकास कुमार

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