अकेले होने का यह मरहला मुसलसल है

अकेले होने का यह मरहला मुसलसल है
यहां किसी को किसी का ख्याल कब कुछ है

 

Related Articles

आज़ाद हिंद

सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत  ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन  !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो  !!   मे पृथ्वी…

Responses

+

New Report

Close