अटल-जयंती

क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं,
कर्तव्य पथ पर जो मिला
यह भी सही वह भी सही,
वरदान नहीं मांगूंगा,
हो कुछ भी पर हार नहीं मानूंगा”
अटल बिहारी वाजपेई जी की कविता की कुछ पंक्तियां
25 दिसंबर 1924 को,
अटल बिहारी वाजपेई जी का,
ग्वालियर में, ब्राह्मण कुल में जन्म हुआ
आज है उनकी जन्म-जयंती
पिता, कृष्ण बिहारी वाजपेई जी,
कवि और अध्यापक थे,
माता कृष्णा देवी कुशल गृहिणी
बहुत जीवंत व्यक्ति थे अटल,
नाम के अनुरूप ही रहे सदा अटल
उनकी समाधि का नाम भी है “सदैव अटल”
राजनीति के शिखर पुरुष थे,
तीन बार बने भारत के प्रधानमंत्री
13 दिन के लिए 1996 में
13 महीने के लिए 1988 से 1999 तक
फिर 1999 से 2004 तक
शासन नहीं किया,..किया सुशासन
उनके कार्यों को है शत्-शत् नमन
देश को अभूतपूर्व ऊंचाइयों के,
शिखर तक पहुंचाया
1998 में राजस्थान के,
पोखरण में परमाणु परीक्षण कर,
दुनिया को चौंकाया
अमेरिका पाकिस्तान समेत कई देश
रह गए दंग , उन्हें कुछ समझ ना आया
ऐसे थे हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल
16 अगस्त 2018 को हो गया उनका निधन
कवि अटल जी को मेरा कोटिश: नमन
“मौत से ठन गई “लिखी निधन से कुछ दिन पूर्व..
“जूझने का मेरा इरादा ना था,
मोड पर मिलेंगे ये वादा ना था
मैं जी भर जिया मैं मन से मरूं,
लौट कर आऊंगा कूच से क्यूं डरूं
दबे पांव चोरी-छिपे ना आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा”
कवि और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की
जयंती पर उनको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम
______✍️गीता

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