अपनी कश्ती खुद चलाओ

अपनी कश्ती खुद ही चला कर
दिखदो मंजिल को पास ले आकर
नहीं कुछ भी ऐसा जो तेरे बस में नहीं हैं
कर‌ सकते हो‌, बढ़ो बस ये अहसास जगाकर।
आसान से गर मिल ही गया जो
मोल का अहसास कब‌ कर‌ सकेगे
चुभन का स्वाद गर न‌ लगा तो
हासिल करने का जुनून कैसे पैदा करेंगे
चखेंगे स्वाद जी तोड मेहनत का फल उगाकर
कर सकते हो, बढ़ो बस ये अहसास जगाकर।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

जनून

जुनून जुनून जुनून नफरतों का है ये जुनून कहीं जात तो कहीं जमात रंग – बिरंगा हो गया खून कहीं हत्या कहीं हड़ताल सवाल के…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

  1. चखेंगे स्वाद जी तोड मेहनत का फल उगाकर
    कर सकते हो, बढ़ो बस ये अहसास जगाकर।
    ———- बहुत खूब, अति उत्तम रचना।

  2. अपनी कश्ती खुद ही चला कर
    दिखदो मंजिल को पास ले आकर
    नहीं कुछ भी ऐसा जो तेरे बस में नहीं हैं
    __________ उत्साह प्रदान करने वाली बहुत सुन्दर कविता, कवियित्री सुमन जी की अति उत्तम रचना,

+

New Report

Close