अपने लहू से
समस्त देशवासियों को
#स्वतंत्रता दिवस की 74 वी वर्षगांठ पर हार्दिक मंगलकामनाएँ
राजेन्द्र मेश्राम-नील
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अपने लहू से तर,
धरा का शृंगार कर,
सोई हुई चेतना को,
इतना तो भान दे |
भावी वर्तमान भूत ,
सब को बिसारकर ,
कर तू नवल काज ,
देश को उत्थान दे |
फूंक दे प्राणों में प्राण ,
है हो गए जो निष्प्राण ,
उनके हृदय चित्त ,
उर स्वाभिमान दे |
जन्मदायिनी जो मेरी ,
मातृभूमी भारती है,
विजयी पताका नभ ,
छोर तक तान दे |
रचना-#राजेन्द्र_मेश्राम_नील
Very nice
Please Meri likhi Kavita “azaadi” padhke bataeye kaisi hai
सुन्दर प्रस्तुति
Nice
Very nice poem
बहुत खूब
Good