आज देखा फिर से उनको
आज देखा फिर से उनको
अजनबी से लग रहे थे,
बात तो कुछ की नहीं
लेकिन मजे में लग रहे थे।
वे तो हमसे दूरियां रख
दूसरों के हो लिए हैं,
हम निरी तन्हाइयों
खूब सारा रो लिए हैं।
जब भी उनको देखते हैं
याद आ जाते हैं पल
जिन पलों को आज हम
अपनी वफ़ा से खो दिए हैं।
Waah waah
धन्यवाद
प्रेम की गहराई है इसमें, सुंदर रचना
धन्यवाद जी
सुन्दर
सादर धन्यवाद
बहुत सुंदर रचना सतीश जी
सादर धन्यवाद जी
काव्य प्रतियोगिता में जीत के लिए बहुत बहुत बधाई
🙏🙏🙏
बहुत खूब
सादर धन्यवाद जी
सुंदर प्रस्तुति।
सादर धन्यवाद जी
Waah
Thanks
Atisunder
Thanks ji