आस पलती रही
वक्त थम सा गया, और ज़िन्दगी चलती रही।
तेरी याद बहुत आई, तेरी कमी खलती रही।
फ़िर ढूंढ़ने निकल पड़े तुझे, आंख के आंसू मेरे।
खैर, तू मिला नहीं, पर मिलने की आस पलती रही।
Nice Lines
Thank you very much mam.
वाह, कितनी जबरदस्त प्रतिभा है, अतिसुंदर पंक्तियाँ
अरे, सतीश जी …. बहुत बहुत आभार सर 🙏
आपकी समीक्षा सकारात्मकता की और ही ले जाती है।
आपकी कलम से बहुत अच्छा साहित्य सृजन हो रहा है। बहुत बढ़िया लिखती हैं आप
बहुत बहुत धन्यवाद ईशा जी।
आप की सुन्दर समीक्षा के लिए हार्दिक आभार
बहुत खूब 👏👏
बहुत बहुत शुक्रिया जी 🙏
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏
Sunder
बहुत खूब
धन्यवाद मैम🙏
कमाल की लेखनी