उठा पटक लगी ही रहती है
ये उठा पटक लगी ही रहती है
दूरियां और करीबी मिलकर,
जिन्दगी की कहानी चलती है।
कभी बुलंदियों में होते हैं,
कभी सतह में पड़े होते हैं,
कभी है अर्श का चौड़ा सीना
फिर कभी फर्श पड़े जीना।
इसी नाम जिन्दगी कहते,
इसके पल एक से नहीं रहते।
Bilkul sahi bhai awesome
बहुत खूब वाह वाह
सुन्दर रचना
वाह, बहुत ख़ूब कवि सतीश जी की,ज़िन्दगी के बारे में बताती हुई बहुत सुंदर रचना एवम् उसकी बेहतरीन प्रस्तुति..यही है सार ज़िन्दगी का.. बहुत ही सुंदर कविता है सर, अद्भुत लेखन👏
वाह क्या बात है
अतिसुंदर