उनके सपनों का भारत

वज़न उठता नहीं

तुमसे दो मण भी

कहां गई शक्ति

तुम्हारे यौवन की

और कहां है अभिव्यक्ति

तुम्हारे मन की।

 

चलो ये वज़न तो

तुम भारी कह सकते हो

इससे इंकार भी कर दो

तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा

लेकिन तुम तो वो वज़न भी

उठाने को तैयार नहीं

जो होता है

देश के प्रति

कुछ प्रण का

और जो दायित्व है

तुम्हारे इस युवानपन का।

 

उन्होंने तो

अपना बलिदान देकर

तुम्हें ये भारत सोंपा

लेकिन तुमने

कितना योगदान देकर

देश के बारे में सोचा

सहो ये देशभक्ति का झोंका।

 

ये भारत

उनके सपनों का भारत

लगता ही नहीं

या फिर कहूँ

कि है ही नहीं।

 

उन्होने तो

अपने प्राणों को भी

देश के खातिर झोंका

लेकिन क्या तुम्हारे ज़मीर ने

तुम्हारा उत्तरदायित्व निभाने के लिए

तुम्हें कभी नहीं टोका

चलते हुए उन राहों पर

जिनकी मंज़िल वो तो नहीं

जो उन वीरों ने सोची थी

सच में ये भारत

उन वीरों के

सपनों का भारत

है ही नहीं।

 

काबिल हैं इस देश में अभी भी

काबलियत की भी कमी नहीं

लेकिन कर नहीं पा रहे सभी

अभिव्यक्ति अपनी असलियत की

जब असलियत अपनी

और अपने कर्तव्य की

सभी युवा जान जाएंगे

तो फिर

वो बनकर कारगर युवाशक्ति

इस देश का सितारा

और भी चमकाएंगे

और कभी कभी तो

इस भारत को

उनके सपनों का भारत

बनाकर ही दिखाएंगे।

 

                                                         कुमार बन्टी

 

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close