Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
ज़नाब आहिस्ता आहिस्ता !
सच होते जा रहे हैं मेरे ख्वाब आहिस्ता आहिस्ता, वो दे रही मेरी बातों के जवाब आहिस्ता आहिस्ता, सालों से बेकरार किया है मेरे दिल…
आहिस्ता-आहिस्ता रखना कदम
आहिस्ता-आहिस्ता रखना कदम इन नाजुक पगडंडियों में वक्त सो रहा है रात के सन्नाटे में चांदनी रात के आँचल तले खोया है कांच के सपनों…
…….गुज़र जाएगा…..
( दुनियां ) एक सोच में डूबी हूँ क्या करूँ और किस काम को छोड़ दूं…. महाकाल , भयावह काल , कोरोना काल का यह…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
वाह वाह क्या बात है
बहुत ख़ूब
बहुत खूब