एक योषिता

एक योषिता, नाम योगिता
मनमोहक – मनहरण है
उसकी रूप सुन्दरता।
सागर की सी शूतलता,
मेघों की सी चंचलता,
बागों में इठलाती खेलती तितली सी,
है उसकी सतरंगी छटा।
एक योषिता – नाम योगिता।

सपनो की है सेज सजाती,
निशावर को नीस आकर जाती,
माधवी राग मै चपके-चुपके,
वह प्रेम गीत सुनाती।

प्रकृति हो उन्मुक्त
स्वरो की जादु से
बहाती नव सरगम सरीता।
एक योषिता – नाम योगिता।

यक्ष कामनी देख शरमाएँ,
स-स्पर्श से सुमन खिल जाएँ,
मलय गंध पा पवन बावरा
उन्मुक्त हो इठलाये,
है, एैसी उसकी स-श्रृगांर सुन्दरता।
एक योषिता – नाम योगिता।

योगेन्द्र कुमार निषाद
घरघोड़ा (छ.ग.)

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