ऑफिस(Office) की दुनिया

ऑफिस(Office) की दुनिया
आओ सुनाऊं आपको बीते हुए पलों की,
कुछ खट्टी, कुछ मीठी दास्तां,
कुछ मेरी, कुछ आपकी बात करते है,
चलो कुछ बीते हुए लम्हे याद करते है।
Office में बिताए पलों को याद करते है,
जब हम आए थे यहां तो ये एक गुमनाम पहेली थी,
ना जाने क्यों मन नहीं लगता था ,
हर दिन यहां से भाग जाने को दिल करता था। धीरे-धीरे नए-नए दोस्त बने, कुछ अच्छे मिले, तो कुछ खडूस मिले, किसी को समझ पाना मुश्किल था, तो किसी को जानना बहुत आसान था. लेकिन Maximum कुछ लोग दिल के अच्छे मिले। फिर कुछ लोग सामने आते ही मासूम बन जाते, और कुछ लोग ignore करने में और कुछ लोग बात करने के लिए तरह-तरह के बहाने बनाते। कुछ लोग अपने – अपने कार्यालय में जाने के लिए दौड़ ऐसे लगाते,
लगता है जैसे सारा काम वो ही करेंगे…
कुछ लोग बाते करने के साथ साथ काम भी कर लेते,
रविवार से पहले शनिवार को सभी रग- बिरगे बन कर आते, सबके मन में लड्डू फूटा करते, कौन ज्यादा सुंदर लगता मन में ये भावना रखते,

फिर रविवार की शाम को, सोमवार के बारे में सोच के सबके दिल टूटा करते।
क्योंकि सोमवार वाले दिन आने का मन नही करता……
पहले ना जाने क्यों Office आने से डरते,
और अब ना जाने क्यों यहां से जाने का दिल नहीं करता।
पहले हम office में Time Pass लिए आते और अब बात ही निराली है।
जब आए थे यहाँ तब दिल डरा – डरा सा था और मुंह सूजा हुआ था,
अब यहाँ कोई डर नहीं है लेकिन चेहरे पर मुस्कान है और दिल में बदले की भावना,
जिन के बल पर उड़ना सिखा अब उनको नीचा दिखाने की कोशिश में लगे,
कुछ को लोगो के साथ Partiality होती है ये ऑफिस की दुनिया है जनाब यहाँ पे ऐसा ही होता आया है
कुछ लोग कुछ नया सिखने आये है तो कुछ लोग दो बक्त की रोटी के लिए और कुछ टाइम पास करने के लिए आये है
कुछ नए रास्ते खोजने के लिए, कुछ नया कर दिखाने के लिए, कुछ मंजिलों को अपना बनाने के लिए,
कुछ थोड़े से नादान कुछ थोड़े से समझदार, कुछ मिल बांट कर जो खुशियां मनाते थे, सबका प्यार भरा साथ,
वो साथ बिताए हुए पल, कुछ खट्टी मीठी सी यादें ही रह जाएगी…………..
कुछ ऐसा ही है ऑफिस की ये दुनिया………..

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