कई भरम टूटे इस साल
कई भरम टूटे इस साल,
बुरा हुआ इस दिल का हाल
कोई ना मुझसे पूछना,
बता ना पाऊंगी फिलहाल
अश्रु लुढ़क गए गालों पर,
आंखो का रंग हुआ है लाल
कोशिश कर-कर
हार गई हूं
ज़िन्दगी हुई जी का जंजाल
कई भरम टूटे इस साल
कोई ना मुझसे पूछना,
बता ना पाऊंगी फिलहाल..
*****✍️गीता
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी सादर आभार 🙏
यह वर्ष कई दुःखद यादें छोंड़ जायेगा
पर चिंता ना कर वत्स
नया वर्ष ढेरों खुशियां
लेकर आयेगा..
हा हा, आपकी लेखनी से निकली हुई इतनी सुन्दर समीक्षा से मेरे अधरों पर मुस्कान आ गई है । बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी