कर्मठ
आलसी लोग जो ना मेहनत करते
दिन के उजयारो मे
देखा रात को स्ट्रीट लाइट के निचे पड़ते
एक बच्ची को अंधरे गलयारो मे.
सर्द हवाओ में मैंने उसे देखा पढ़ते
कांप -कांप कर
जाने क्यों पढ़ती है वो
जागकर रात- रात भर.
इतनी ठण्ड थी की कोई अभागा रोए
तो आंसू भी जम जाए
इस हाल में पढ़ते देख उसे
किसी की सांसे भी थम जाए.
अगली सुबह मैंने उसे जब
उसे फूल बेचते देखा
सोचा मन मे
की ये कैसा है भाग्य का लेखा
एक दिन जरूर बदल देगी
वो अपने हाथो की रेखा.
हमेशा आलसी को फूलों के बिस्तर
और कर्मठ को ठोकरें ना मिलेंगी
एक दिन ऐसा आएगा
जब सारी खुशियाँ आधी -आधी बटेंगी.
Good
Sahi kha hai
अच्छी कहानी है
Nice
Good
वाह बहुत सुंदर
Wah
Wah
Good