कविता
ज़िन्दगी अबूझ पहेली सी है
कभी बहुत करीब एक सहेली सी
कुछ उठते सवाल उलझे से
नहीं मिलते जवाब सुलझे से
बड़ी शिद्दत से अगर खोजें तो
कुछ हल पाने में आसानी होगी
ज़्यादा बुद्धिमत्ता समझने की इसको
शायद बिलकुल बेमानी होगी
चक्रव्यूह ये भेदना आसान नहीं
अथक संयम भी बरतना होगा
हर इम्तिहान का फल चखना होगा
खुली आँखों से परखना भी होगा
तभी परिपक्वता का विस्तार होगा
तेरी शख्शियत में फिर निखार होगा
©अनीता शर्मा
अभिव्यक़्ति बस दिल से
Nice
अनबूझ पहेली- सी है