ख्वाइशें उसकी
ज़िन्दगी कभी अज़ीब सी भंवर उठाती है चहुँ और पानी तो नज़र आता है न जाने नाव क्यों न चल पाती है झकझोरती हैं ख्वाइशें…
ज़िन्दगी कभी अज़ीब सी भंवर उठाती है चहुँ और पानी तो नज़र आता है न जाने नाव क्यों न चल पाती है झकझोरती हैं ख्वाइशें…
ज़िन्दगी अबूझ पहेली सी है कभी बहुत करीब एक सहेली सी कुछ उठते सवाल उलझे से नहीं मिलते जवाब सुलझे से बड़ी शिद्दत से अगर…
मेरे अपनों से ही तो प्रेरित हैं मेरे शब्दों की गहराईयाँ वर्ना हर बात पर अक्सर हम बेज़ुबां हो जाते थे ©अनीता शर्मा अभिव्यक़्ति बस…
आँखों की नमी देखकर हम, नज़रें उनसे चुराने लगे, वो फिर से कही रो ना दें, हम खुल कर मुस्कुराने लगे ©अनीता शर्मा अभिव्यक़्ति बस…
ये राहें ले ही जाएंगी मंज़िलों तक हौसला रख कभी सुना है अँधेरे ने सवेरा होने ना दिया ©अनीता शर्मा अभिव्यक़्ति बस दिल से
आपका ख़याल जब भी हमें आता है ज़िन्दगी के प्रति नजरिया ही बदल जाता है कमाल क़ि बात है,किश्तों में ही सही मेरे दिल की…
मैंने खुद लिखा अपनी किस्मत मैं दर्द इशारा तो मिला था कई बार ज़िन्दगी का संभल जाता अगर गौर करता ज़रा भी आज यूँ मारा…
ज़मीन पर टिके हो कदम मंज़िल पर टिकी हो नज़र राहें खुद आसान हो जाएंगी लाख मुश्किलों से भरी हो डगर ©अनीता शर्मा अभिव्यक्ति बस…
सपना उज्जवल भविष्य का जितना ही बड़ा होगा कामयाबी का ताज रत्नों से उतना ही जड़ा होगा क्या हुआ अभी फर्श पर नज़र आते हैं…
जिन्हें हम भूल जाते हैं फिर भी वो याद आते हैं बन कर रतजगे यादों के ज़हन में क्यों उतर जाते हैं ©अनीता शर्मा अभिव्यक्ति…
लौटना न मुसाफिर बस कदम तू बढ़ाना आयें जो भी मुश्किल खुल कर तू भिड़ जाना कोई ज़ोर नहीं चलता गर मज़बूत हों इरादे हारा…
यूँ बनती बिगड़ती किस्मत की नुमाइश ना कर बन्दे तक़दीर सँवरती नहीं शिकायत के पुलिंदों से ©अनीता शर्मा अभिव्यक्ति बस दिल से
लिख दी है इबारत कामयाबी की मैंने तवज्जो मेहनत को देकर पहले अब इंतज़ार है अपनी किस्मत का कब दौर मेरा भी लाएगी ©अनीता शर्मा…
दूरियां ज़बरदस्त कायम है दरमियाँ दो दिलों के कौन जाकर समझाए उन्हें किस्मत से मोहब्बत मिलती है दिलों में रंजिशें हो तो इश्क़ मुकम्मल हुआ…
उड़ जा रे पंछी ख़ुशी से उस असीमित गगन में क्या सोचता है बैठ कर फिर कैद की फिराक में जल्दी से छोड़ दे ये…
जलते ही रोशनी फैलाती है, मोमबत्ती भी सीख दे जाती है, हम मानस पुतलों की तरह इक तालमेल बैठाती है व्यक्तित्व छोटा हो या बड़ा,…
झूठे थे वादे सभी झूठे तेरे इरादे भी लफ्ज़ भी शर्मिंदा है तुझे बयाँ कैसे करें कुत्सित तेरी सोच थी कुटिल थी फितरत तेरी लफ्ज़…
मैंने तुझे जितना समझाया तू क्यों उतना बिफरता गया तुझे राह सच की दिखाई जो तू क्यों फिर भी बिगड़ता गया तुझे सुलझाने की कोशिश…
ज़िन्दगी खूबसूरत है इसे खुल कर जियो छोड़कर द्वेष का भाव हँस कर सबसे मिलो किसी की कष्ट न दो मुस्कराहट की वजह बनो ज़िन्दगी…
मतलबी ही रहे तुम ज़िन्दगी के हर पड़ाव में अब उम्र हो चली है ज़रा पश्चाताप कर लो माना तुम ज़िन्दगी भर करते रहे छलावा!…
तुम्हे दूर जाना था, तो पास आये ही क्यों वादों से मुकर जाना था, तो सब्ज़ बाग़ दिखाए क्यूँ मेरी फितरत में नहीं शामिल बेवज़ह…
तलबगार है ये बंद खिड़की उस शख्श के दीदार की जो वादा करके गया आने का अब हद्द हो चुकी इंतज़ार की गुज़रती हैं जब…
मेरी कल्पना में कहीं जो बसी है वो मदमस्त थिरकती जो अपनी ही धुन में , फूलों सी महकती हर अदा में अभिव्यक्ति मोहपाश में…
किस्मत ने पलटकर कहा आगे भी बढ़ ज़रा मैं बहुत बुलंद हूँ मैंने कहा तू बुलंद है फिर भी पलट सकती है ज़रा सामने देख…
ओ माँ कितनो को तुझ पर कविताएं पढ़ते देखा है तेरी तारीफों में कितने कसीदे गढ़ते देखा है, कितनो को शब्दोँ से सिर्फ तुझपर प्यार…
बादशाहत दिखाते रहे आग पर आग लगाते रहे इक्कों के मायाजाल में फँसे बाजियों में गड्डियॉं फटकाते न जाने कितनी कीमत चुकाते गए ©अनीता शर्मा…
फिर हुआ नई सुबह का आगाज़ है नया दिन नयी उम्मीदों का राज है चहचहाते पंछियों की गूंजती आवाज़ है सरसराती सुबह की ठंडी बयार…
ए आलस तू भाग जा यूँ जिन्न की तरह मुझपर ना कब्ज़ा जमा बहुत कुछ ज़िन्दगी में है करने को अभी बाकी तू मेरी कल्पनाओं…
कितनी दूर चलना है इसकी फ़िक्र कौन करता है बस मंज़िलें सही मिल जाएँ ज़माना भी ज़िक्र उसकी करता है जो लक्ष्य भेदकर अपना सफलता…
घनी काली चाँदनी रात जैसे हो रही तारों की बरसात महकाती गुज़रती ये ठंडी हवा, नींद के आगोश में है सारा जहाँ, ये रात क्या…
सफर बहुत लम्बा तूफानों से घिरा था इरादा मेरा लेकिन पक्का बड़ा था बड़ी मज़बूती से पकड़ी थी जो पतवार अपनी मेरा ज़ज़्बा मेरी मुश्किलों…
खुशियों को आने का मौका दो कभी तो बेवजह मुस्कुराओ यक़ीनन बहारें लौट आएँगी तुम ज़रा धीमे से खिलखिलाओ ढलती उम्र सी हर पल ये…
वो सब्र का पाठ तो पढ़ाते थे बेसब्र ना हो,सब ठीक होगा ! फिर इम्तिहानों के दलदल में खुद बेसब्र हो,अकेला छोड़ जाते थे! हालातों…
खौफ खातीं है सर्द मौसम की हवाएं भी मुझसे सीने में दहकते सूरज सी जिंदादिली रखती हूँ हौसला परवान पर है उम्र हारी है ढलती…
गहनता से लिख रही हूँ मैं लफ्ज़ कम लगते हैं गर लिखने बैठो ज़िन्दगी की किताब चंद लम्हे फुर्सत मिली बाकी रहा ज़िम्मेदारियों का दबाव…
कितनी रातें गुज़र जाती हैं नींद आये तो भी आंखें सोती नहीं ज़हन में ख्याल तेरा नज़र में इंतज़ार पलकें भीगती हैं पर आँख रोती…
शुक्रगुज़ार तेरे नहीं तेरी तस्वीर के हैं तन्हाइयों में भी हमारे साथ होती है छोड़ती नहीं एक पल हमारा साथ साथ जगती भी है और…
दिलकश महबूब से इश्क़ बेहद खूबसूरत एहसास देता है कहीं नाकाम आशिक़ बना देता है कहीं सरताज बना लेता है ©अनीता शर्मा अभिव्यक्ति बस दिल…
हर रोज़ पहुँच जाती हूँ उस श्वेत निर्मल घरोंदे में न जाने किस जन्म की कहानी शायद कैद है उन दीवारों में जहाँ पहुँच कर…
ना…री तू बिलखना नहीं किसी सहारे को अब तरसना नहीं तू स्वयंसिद्ध और बलवान है नहीं महत्वहीन तू खुद सबकी पहचान है सशक्त है तू…
मुश्किलें किसके जीवन में नहीं आतीं ये दृढ़ता से समझना होगा खुद की कोशिश नाकाम नहीं होतीं विजय पथ पर खुद अग्रसर होना होगा जब…
वो प्रीत के मनोरम स्वर्णिम पल दफ़न क्यों हुए चारदीवारी में, वो जुड़ रही थी या टूट रही थी जलते से या बुझते अरमानों में,…
मुकम्मल कभी वो प्यार नहीं जो तवज्जो रंगे नूर से मिले जो सीरत से दिल लगाए वो मुहब्बत कमाल होती है @अनीता
माथे पर शिकन से उभरती लकीरों को देखकर एक फ़कीर ने कहा तूने बुलंद किस्मत है पायी उसे क्या पता था कि एक जान के…
शतरंज में अक्सर बाज़ियाँ पलट जाती हैं अक्लमंदी से मोहरे चलना ए बाज़ीगर किस्मत बुलंद हैं गर अदने से मोहरे की तो राजा के हिस्से…
दूरियां ज़बरदस्त कायम है दरमियाँ दो दिलों के कौन जाकर समझाए उन्हें किस्मत से मोहब्बत मिलती है दिलों में रंजिशें हो तो इश्क़ मुकम्मल हुआ…
डर का वजूद कुछ नहीं ये स्वयं जनित मनोभाव है आसन्न खतरे की चिंता से उत्पन्न भय निराशावाद है एक अंतहीन भ्रम की स्थिति हक़ीक़त…
दो दिल जुड़ते हैं जब सच्चाई से चंचलता निरंतर जवान होती हैं किसी से प्यार हो जाना बेहद सुखद अनुभूति हैं खुशनुमा अहसासों में डूबकर…
देखी दुनिया सारी फिर भी रहे अनाड़ी कर कुछ भी न पाए वो बनते रहे खिलाडी
हज़ारों सवालों से भरी ये ज़िन्दगी कभी खुद के वजूद पर सवाल उठाती कभीचलती भी,कभी दौड़ती भी है ये थक कर कभी चूर चूर हो…
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