काला पानी (भाग 2)
डेविड बेरी,जेलर था सैल्यूलर जेल का
डेविड बेरी को “बैरी” कहते थे ,
सारे हिन्द के सैनानी ।
उसके किए की भी ,
क्या ख़ूब सज़ा मिली
ये जानें सारे हिन्दुस्तानी ।
आज़ाद भारत जब हो गया,
उसका भी दम कम हुआ
लंदन जाता था अपने घर,
कलकत्ता में ही बेदम हुआ
औरों का घर छीना जिसने,
उसको अपना भी ना नसीब हुआ ।
जय-हिन्द की गुंजार ने,
सारे हिन्द को फिर एक किया
वन्दे मातरम् के नारे ने,
काम बहुत ही नेक किया ।
अब वर्तमान भारत की सोचो,
क्या ऐसा ही भारत चाहा होगा
एक अच्छे भारत की
चाह में ही तो,
अपना शीश कटाया होगा ।
तो आज से हम एक काम करें,
इस देश का कुछ उद्धार करें
देश-प्रेम ही देश-प्रेम हो,
यह जन-जन में, संचार करें ।।
*****✍️गीता
कवि गीता जी की लेखनी से प्रस्फुटित हुई यह सुन्दर कविता देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत है। पंक्तियाँ कवियित्री की उच्च स्तरीय संवेदना और खूबसूरत शिल्प की द्योतक हैं। साथ ही उन्होंने यह शानदार संदेश भी प्रसारित किया है –
आज से हम एक काम करें,
इस देश का कुछ उद्धार करें
देश-प्रेम ही देश-प्रेम हो,
यह जन-जन में, संचार करें ।।
वाह बहुत खूब, सुन्दर रचना।
इतनी उच्च कोटि की समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी 🙏 आपने मेरी कविता को ध्यान से पढ़ा,समझा इसके लिए बहुत बहुत आभार सर ।कवि सतीश जी को मेरा अभिवादन ..
बहुत लाजवाब कविता गीता जी वाह
आपकी इस सुंदर टिप्पणी के लिए सादर धन्यवाद कमला जी🙏
बहुत बहुत शुक्रिया
वाह वाह बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पीयूष जी।
अतिसुंदर रचना
कविता की सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी🙏
बहुत खूबसूरत रचना
जय हिंद जय भारत
रचना की सराहना के लिए आपका बहुत शुक्रिया ऋषि जी🙏
जय हिन्द जय भारत