किनारे पर भी रहूँ तो लहर डुबाने को आ जाती है,
किनारे पर भी रहूँ तो लहर डुबाने को आ जाती है,
बीच समन्दर में जाने का हौंसला हर बार तोड़ जाती है,
दिखाने को बढ़ता हूँ जब भी तैरने का हुनर,
समन्दर की फिर एक लहर मुझे पीछे हटा जाती है,
अनजान है वो लहर एक बात से फिर भी मगर देखो,
के वो खुद ही किनारे से टकराकर फिर लौट के आना मुझे सिखा जाती है॥
राही (अंजाना)
Waah
Thank you
Good
Thank you