Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Sonia Kulshrestha
A world rests in my head & heart!
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मैं हु एक शराबी शराब जानता हू कुछ नहीं सिवा इसके नाम जानता हू उतर जाती है ये सीनै में सुकून देने कुछ नहीं में…
कविता- कौन जानता था |
कविता- कौन जानता था | कर्मवीर होंगे बेचैन अपने घर कौन जानता था | राह निहारेंगे कब ताला खुलेगा कौन जानता था | आयेगा ऐसा…
कविता – भारत जानता है |
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
आखिर मैं भी तो जग का हिस्सा हूं
कोई मेरी व्यथा क्यों समझता नहीं, मैं भी प्यासा हूं,मेरे लिए कोई पानी रखता नहीं। बढ़ रही उमस इतनी,और धूप कितनी तेज है, पानी के…
nice
thanks anupriya
मनभावन अल्फ़ाज़….
thanks 🙂
bahut khoob…umda rachan!
thanks
bht khoob sonia ji 🙂
thank you