Categories: शेर-ओ-शायरी
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हम भी साथ चलेंगे..
जी जरूर, थैंक्स
सुन्दर
धन्यवाद जी
“हाथों की चंद लकीरों का, ये खेल है सब तकदीरों का….”
“तक़दीर है क्या में क्या जानूं, में आशिक हूं तदबीरों का…”
सबके, अलग अलग दृष्टिकोण…..
वाह, समीक्षा में कितनी सुन्दर पंक्तियाँ लिखी हैं, बहुत सारा धन्यवाद है आपको।
वाह वाह
सादर धन्यवाद
सर हमें पता बता देना
हम भी जाकर हाथ दिखाएंगे
कहीं हम पागल तो नहीं
जो रात को सोते नहीं
बहुत सुंदर लेखनी है आपकी
क्या बात कही आपने ऋषि जी, धन्यवाद
वाह वाह
सादर धन्यवाद जी
सुन्दर प्रस्तुति
सादर धन्यवाद जी