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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दोस्ती से ज्यादा
hello friends, कहने को तो प्रतिलिपि पर ये दूसरी कहानी है मेरी लेकिन सही मायनो मे ये मेरी पहली कहानी है क्योकि ये मेरे दिल…
#_मेरा_वाड्रफनगर_शहर_अब_बदल_चला_है
#_मेरा_वाड्रफनगर_शहर_अब_बदल_चला_है _______**********************__________ कुछ अजीब सा माहौल हो चला है, मेरा “वाड्रफनगर” अब बदल चला है…. ढूंढता हूँ उन परिंदों को,जो बैठते थे कभी घरों के…
बहुत खूब वाह
बहुत बहुत धन्यवाद
कहे लेखनी मान, बात को यंत्र है तन,
चला रहा है उसे, सौ तरह से मेरा मन।
_______ तन को यंत्र और मन को एक सारथी की तरह उस यंत्र को चलाने वाला बताया है कवि सतीश जी ने अपनी इस रचना में,बहुत खूब। छंद युक्त शैली और सुंदर भाव और शिल्प लिए बहुत ही श्रेष्ठ रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
छंद शैली में बहुत सुंदर रचना
बहुत धन्यवाद
मन अस्थिर करता मुझे, कैसे हो संतोष,
खाली खाली आ रहा, खुद ही खुद पर रोष,
खुद ही खुद पर रोष, नहीं संतोष मुझे है,
सौ ठोकर के बाद, नहीं फिर होश मुझे है,
कहे लेखनी मान, बात को यंत्र है तन,
क्या बात है कवि हो तो ऐसा
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद
क्या बात है सतीश जी बहुत सुंदर रचना