Categories: शेर-ओ-शायरी
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ख़त
मैंने उन्हें एक ख़त भिजवाया है एक लिफाफे में उसे रखवाया है देखने में कोरा न लगे,इसलिए उस लिफाफे को खूब सजाया है जो पहुचेगा…
ज़िन्दगी कोरा कागज़ थी हमारी
ज़िन्दगी कोरा कागज़ थी हमारी तुमने कुछ रंग भर दिए आये हो तोह रुक जाओ इतनी जल्दी क्या जाने की पर रोक तोह हम सकते…
कागज़ और कलम
जब आसपास की खट पट खामोशी में बदलती है। जब तेज़ भागती घडी की सुइंया धीरे धीरे चलती है।। दिनभर दिमाग के रास्तों पर…
कोरा पन्ना
तू कोरा पन्ना है मैं तेरी लिखावट बन जाऊँगा तू मेरी कलम के शब्द बन जाना मैं तेरे शब्दों की किताब बन जाऊँगा तू गुलाब…
मुझे कोरा ही रहने दो
मुझे कोरा ही रहने दो इस होली में…… क्यूँ की कुछ लोग रंग से नहीं लहू से होली खेलने में लगे हुए हैं. …… 🇮🇳जय…
Nice
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वाह
शुक्रिया
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