क्यूँ

यह जख्म कोई नया तो नहीं
फिर दर्द का अहसास
इतना गहरा क्यूँ ?
कयी सितम अपनों ने किये
पर उफ ना आज तक हमने किये
अबतलक जो बेधते लब्ज़
असर कर न सके
तेरे लव से सुनते ही
हम सह न सके
तुझसे मिले अलफाज
दे गया सदमा क्यूँ ?
पल-पल चोट मिलते रहे
शिकायतें करने की फितरत नहीं
कहने को बहुत कुछ हमको मिला
कुछ और पाऊँ ये हसरत नहीं
बढ़ते जा रहे कदम-दर-कदम
खत्म होता नहीं रास्ता क्यूँ ?

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