खुदकुशी मत कर मनुज

संसार मे दुख-सुख
लगे रहते हैं
मत घबरा मनुज।
जिंदगी से प्यार
खुदकुशी मत कर मनुज।
गम मिले जिस राह पर
उस राह को तू त्याग दे,
आस मत रख दूसरे से
जी स्वयं के वास्ते।
कोई दे गर ठेस तुझको
छोड़ दे उसका चमन
पर न कर तू घात अपना
ठोस कर ले अपना मन।

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Responses

  1. बिल्कुल सही कह रहे हैं आप,
    ” कोई दे गर ठेस तुझको छोड़ दे वो चमन”
    इन पंक्तियों को पढ़ कर किसी भी दुखी व्यक्ति को राहत मिल सकती है। कवि ने एक चिकित्सक का कार्य भी किया है।
    ऐसी लेखनी को शत – शत नमन।

    1. ऐसी सुन्दर और विद्वत समीक्षा की है आपने गीता जी, सादर नमस्कार, जो आपने इतनी सुंदर तरीके से उत्साहवर्धन किया।

      1. बहुत बहुत स्वागत जी। 🙏आपने लिखा ही बहुत सुंदर है।

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