खुदगर्ज
सोचो अगर हर जीव खुदगर्ज हो जाता
पल पल हर पल थम सा जाता
ना पेड़ देता फल कोई वह पेड़ पर ही सड़ जाता
वह जाओ ना देते तो पथिक रास्ता कैसे तय कर पाता
नदिया जो पानी ना देती हर जीव प्यासा मर जाता
वह समंदर में ना गिरती तो हर घर पानी में बह जाता
ना मां देती जन्म बच्चे को जीवन मरण चक्कर रुक जाता
जो हो जाती खुदगर्ज वह कोई घर नहीं बस पाता
हवा अगर थम जाती तो दम सभी का घुट जाता
वह ना हर जगह बहती तो जीवो का प्राण पखेरू उड़ जाता
दयावान होना जरूरी है दया ना होती तो सृष्टि का सर्जन ना हो पाता
खुदगर्ज जो हो जाता ब्रह्मांड खुद ही पैदा होकर खुद ही वह मर जाता
👏👏
Remarkable
Good
Wah
Nice
सुन्दर रचना
Wah
वाह बहुत सुंदर
Good
सुन्दर
Nice