Categories: शेर-ओ-शायरी
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मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
ज्यादा नहीं मुझे तो बस………..
ज्यादा नहीं मुझे तो बस एक सच्चा इंसान बना दे तूँ । एक बार नहीं चाहे हर बार सच में हर बार बना दे…
पत्थरों की तरह आदतें हो गयीं
हम भी रोये नहीं मुद्दतें हो गयीं। पत्थरों की तरह आदतें हो गयीं। जबसे बेताज वह बादशाह बन गया, पगड़ियों पर बुरी नीयतें हो गयीं।…
आज देखो दुनिया क्या से क्या हो गयी
हंसी ख़ुशी कहीं ,गम की वादियों में खो गयी आज देखो दुनिया क्या से क्या हो गयी दूसरों की सफलता पर ,जो बजती थी तालियाँ…
वाह
वाह
गुड
वाह