खुद पे एतवार

चलो आज खुद के लिए वक्त की तलाश करते हैं ।
हर जख्म को अलफाजो से ढक
दुख दर्द को किसी दरिया में रख
खुद को तराशने की खातिर खुद पर
एक सरसरी नजर डालते हैं ।
दुनिया की उम्मीदों से परे
भीनी भावनाओं के संग
अनायास ही एक उङान भरते हैं ।
क्यूँ दूसरों के भरोसे खुशियों को छोङे
खुद ही खुद के लिए
खुद की अहमियत का अहसास करते हैं ।
सबकी बातोंको नजरान्दाज कर
किनारा कर सबकी नाराजगी का डर
खुद के लिए खुद पर, चलो एतवार करते हैं ।
सुमन आर्या

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