खूब पढ़े खूब बढ़े

खूब पढ़े खूब बढ़े

शिक्षा ही जीवन का आधार है,
इसके बिना जीवन निराधार है।
शिक्षा ही जिन्दगी का सच्चा अर्थ बताती हैं,
सत्य और अनंत उन्नति का मार्ग बताती है।
शिक्षक नित नवीन सबक सिखाते हैं,
सबको स्वाभिमान से जीना सिखाते हैं ।
बिना पढ़े-लिखे लोग पशु समान होते हैं,
जो न पढ़ाये अपने बच्चे,
वो माता-पिता दुश्मन के समान होते हैं।
जिंदगी में शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए।
‘खूब पढ़े खूब बढ़े” ये जीवन का मूलमंत्र होना चाहिए।।

अभिषेक शुक्ला ‘सीतापुर(up)

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शिक्षा

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Responses

  1. खूब पढ़ें, खूब बढ़ें
    होना चाहिए था
    वैसे टाइपिंग की मिस्टेक होती रहती हैं।
    संदेश अच्छा है

      1. हाँ ऐसी वर्तनी जन्य त्रुटियां हमसे भी और अन्य से भी हो जाया करती हैं।

      2. होती नहीं हैं परंतु कुछ शब्द की-पैड लिखता ही नहीं

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