Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
भटके हुए रंगों की होली
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प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
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बहुत बढ़िया रचना
बहुत खूब, बहुत खूब
खूब सजाऊँ अपना तन।
लाल व पीले, हरे, गुलाबी
सारे रंग उड़ाऊँ मैं,
________ होली के पर्व पर रंगों में सराबोर कवि सतीश जी की बहुत ही सुंदर कविता बहुत सुंदर शिल्प और प्रवाह लिए हुए शानदार प्रस्तुति
बहुत खूब
अतिसुंदर रचना
गाऊँ गीत मनाऊँ होली
खुशी मनाऊँ मन ही मन
रंग की रौनक जहाँ तहाँ हो
खूब सजाऊँ अपना तन।
लाल व पीले, हरे, गुलाबी
सारे रंग उड़ाऊँ मैं,
खुद का चोला खुद ही रंग लूँ..
कवि सतीश जी की सुंदर पंक्तियां जिनंमे होली के त्योहार की लालिमा टपक रही है
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