Categories: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
ज़िंदगी तुम बहुत ही खूबसूरत हो…
ज़िंदगी तुम बहुत ही खूबसूरत हो… ………………..++++……………….. ज़िंदगी तुम बहुत ही खूबसूरत हो… सूनसांन बंजर राहों से हो कर गुज़रती हो फिर भी हँसती खिलखिलाती…
तोहफा वो अनमोल था
तोहफा वो अनमोल था आज शुकून भी मिल जाता,काश कोई झूठा ही सही पर कोई हमदर्द ही निकल जाता | इसी चिंता से मेरा मन…
शिक्षक दिवस पर
शिक्षक दिवस पर**** ?????? शिक्षक राष्ट्र का निर्माता शिक्षक ही ज्ञानका है ज्ञाता आदिकाल से इस जग में शिक्षक समाज का गहरा नाता । जब…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
बहुत ख़ूब
धन्यवाद
उम्दा प्रस्तुति
धन्यवाद
सुन्दर प्रस्तुति
धन्यवाद
सुंदर
धन्यवाद