चाँद

आखिर कौन किसको देखने छत पर आया करता है,
चाँद इस ज़मीं पे या उस आसमान पे छाया करता है,
इंतज़ार कौन और किसका बड़ी बेसबरी से करता है,
पहले अंधेरा या रौशनी कौन किसको पाया करता है,
उम्र किसकी और कितनी बढ़ाने की चाहत में पागल,
है कौन जो रात दिन यूँहीं पलकें झपकाया करता है।।
राही अंजाना
वाह
Nice
वाह
Good
Kya khub
Good
Nyc