जरूरी नहीं कि हर दिल इश्क में टूटा हो
जरूरी नहीं कि हर दिल इश्क में टूटा हो
अक्सर अपने भी दिल तोड़ दिया करते हैं,
खुशियों में तो मशरूफ हो जाते सभी पर
मुश्किल पड़ते ही दामन छोड़ दिया करते हैं
जरूरी नहीं कि हर दिल इश्क में टूटा हो
अक्सर अपने भी दिल तोड़ दिया करते हैं,
खुशियों में तो मशरूफ हो जाते सभी पर
मुश्किल पड़ते ही दामन छोड़ दिया करते हैं
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आज के मुहब्बत का यही परिणाम है। रचना अच्छी है।
Thanks sir
मशरुफ शब्द भाव के अनुकूल नहीं लगता। इश्क शब्द हीं अपनापन का बोध कराता है। अपने हो या फिर पराए सभी खुदगर्जी में दिल तोड़ देते हैं। बारिश में साथ कौन भिंगेगा। साथ तो छुटेगी हीं।
सुन्दर भाव और प्रयास।।
Thanks sir ji
Touching lines
👌👌
सुन्दर पंक्तियाँ