जल-जीवन
जिंदगी को कहीं कैद कहीं आजाद देखा
फिर भी न बदलता उसका स्वभाव देखा
बुंद बनकर आसमां से लहराते आते देखा
कयी बोझिल चेहरे को पल में हर्षाते देखा
चूल्हे पर जलकर फिर आसमां में जाते देखा
प्यालों में जा तन मन की थकान मिटाते देखा
स्वयं को जमाकर औरों पे शीतलता लुटाते देखा
जिनके तन जले उन पर मरहम बन छाते देखा
पर हित लुट जाने वाले को नित भोजन बनाते हैं
तब भी जीवन भर स्वार्थि बन सांसों को घटाते देखा
जल की महत्ता को प्रकट करती हुई बहुत सुंदर पंक्तियां
अतिसुंदर भाव
जीवन के लिए आवश्यक तत्व जल की महत्ता का अत्यंत सुंदर शब्दों में वर्णन किया है। कवि की संवेदना बहुत ही गहराई को छूती हुई दिखाई दे रही है। खुद जम कर दूसरों को शीतलता देता है, कह कर कवि ने स्वयं की गहरी सोच को सामने रखने में सफलता पाई है।
जिंदगी को कहीं कैद कहीं आजाद देखा, पंक्तियाँ में सुन्दर आनुप्रासिक छटा विद्यमान है।
जल के महत्व को समझती हुई बहुत सुंदर रचना।
अतिसुंदर रचना
बहुत ही अच्छा रचना