जवानों की होली

जवानों ने खाई है, सीने पर अपने गोली
ना भागे दिखाकर पीठ , प्राणों की लगा दी बोली
आये दिन खेलते रहते, वो खून के रंग संग होली
तब जाकर देश में बन पाती, रंगो वाली होली

उनके लिए हर दिन ही, होली और दीवाली है
खून बहे तब होली मनती, बंदूक चले तब दीवाली है
बारुदों के ढ़ेर को समझे, वे तो अबीर गुलाले है
तत्पर देश की रक्षा में, हरपल वो मतवाले है

कारतूसों की जय माला पहन, विजय श्री वरने हुए खड़े
शत्रु की पिचकारी छोड़ती गोलियां, फिर भी कभी नहीं है डरे
बन प्रहलाद; दहन करने होलिका, दुश्मन सीमा में कूद पड़े
फ़ाड़ दुश्मन का सीना रण में, नृसिंह बन वे है डटे

ढाल बनाते बंकर को ऐसे, जैसे लठमार होली है
कारण उनके ही तो हैप्पी, होली और दीवाली है
परिचय अदभुत वीरता का देकर, अपना बना लिया हम गैरो को
इस होली सब मिल नमन करें, हम देश के हर रणधीरों को
देश के सच्चे हीरो को

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