Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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याद है आज भी वो दिन
याद है आज भी वो दिन जब किताब के बीच कोई फूल दबा देते थे और खाली लम्हों को उस सूखे फूल से महकाया करते…
मन हमारे आजकल अपनेपन की परिभाषाये
मन हमारे आजकल अपनेपन की परिभाषाये बदल रहे हैं,, सारे प्यारे दोस्त हमारे,, अब भीड़ सामान ही लग रहे हैं,, पराई नगरी में भी अकसर…
किताब मेरी
कविता-किताब मेरी —————————- इतनी खूबसूरत तो नहीं है । जो तेरे लिये दिन रात तड़पता हूं । तू किताब मेरी,बसी तुझी में जान है तभी…
फूल……, किताब,……. अलमारी…….
फूल……, किताब,……. अलमारी…….तुमने जो फूल मुझे दिया थाउसे मैने एककिताब में रख दिया था और किताब अलमारी में रख कर लगा दिया था ताला। अब उस…
बंद किताब
कुरेदने ना देना इस दिल को मेरे। राख तले दबे अरमान, सुलग उठेंगे शोलो की तरह। झांकने ना देना इन आंखों में मेरी। इनमें तुम्हारा…
अतिसुंदर भाव