Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
काली छाया
काली छाया ख़ुद को पाने की राह में, ध्यान लगा जो ख़ुद में खोया, अन्तर मन में उतरा मैं जब, अंधकार में ख़ुद को…
क्या बतायें
क्या बतायें क्या हो गया है हमें तुम ही बताओ कि क्या बतायें हम
वाह बहुत सुंदर रचना
धन्यवाद
🖋👌
Thanks
👏👏
Thanks