तुझमें है सिंहो -सा-दम
कोशिश कर आगे बढ़ने की बंदे,
तुझमें है सिंहों-सा दम…
ना मान हार तू लहरा दे,
अपनी ताकत से जग में परचम…
नित अग्रसर हो जीवन पथ पर,
मत गवां समय तू रुक-रुककर…
तू जवाँ लहू, जिसमें आता,
उत्साह उबलकर नस-नस पर…
नित कुआँ खोद पानी पी जा,
खुद बना राह आगे बढ़ जा…
तू मौत की तरफ बढ़ा ना कदम,
कटु वचन भूल जीवन जी जा….
यूँ ना सुबक-सुबक जीने से,
जीत मिलती है खून-पसीने से…
तुमसे ना कुछ हो पाएगा,
यह बात निकालो सीने से….
तू बन कर्मठ, बस हिम्मत रख,
फिर अम्बर भी झुक जाएगा,
जग भूल जाएगा यह कहना,
कि तुमसे ना हो पाएगा…
सुंदर उत्प्रेरक कविता
Atisunder
जीवन में उत्साह एवं सकारात्मकता लाती हुई बेहतरीन रचना
बहुत खूब
बहुत खूब
बहुत सुंदर