Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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बहुत खूब वाह
बहुत बहुत धन्यवाद
सुन्दर प्रस्तुति
सादर धन्यवाद सर
बहुत बढ़िया वाह जी
धन्यवाद जी
बहुत खूब कहा सर।
किसी ख़ास हंसी बहुत बङी मुश्किलो से लङने की हिम्मत प्रदान करता है
करती है
इतनी सुंदर समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद
रुक जाए होठों पर हंसी तो,
गम का पता चलता है|
बना रहे यदि गम सदा,
अपनों का भी पता चलता है|
कौन था अपना जो पराया बन गया,
जिस पर थी नजर वह किनारा कर गया,
मेरे गमों को हरने के लिए-
मेरी बूढ़ी मां के संग मेरा पूरा परिवार आ गया|
बहुत अच्छी आपकी कविता आपकी लेखनी को सलाम
बहुत बहुत धन्यवाद
Very nice
Thank you
बहुत अच्छा
सादर धन्यवाद
बहुत सुन्दर
सादर धन्यवाद जी
अपनों की हंसी से ही खुश है जग सारा।
अपनों की खुशियों में ही संतोष छिपा है हमारा।
वाह, सर जीवन की सच्चाइयों का बहुत खूबसूरती चित्रण।
इतनी सुंदर समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद, अभिवादन
वाह बहुत सुंदर भाव पूर्ण रचना
सादर धन्यवाद
बहुत सुंदर पंक्तियां
थैंक्स