तुलसीदास

तेरे दर्द के बाद सोंचती हूँ मैं
क्यों जन्म दिया ऊपर वाले ने मुझे !!
ठोकर खाने के लिए
या तुलसीदास बनने के लिए !!

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Responses

  1. ना मुंह छुपा के जियो
    ना सर झुका के जियो
    गमों का दौर भी आए तो
    मुस्कुरा के जियो

  2. जीवन में कभी कभी मुश्किल वक्त आ जाता है।लेकिन इसे परीक्षा की घड़ी समझ के निकल देना और आगे बढ़ जाना ही बेहतर है।

  3. तुलसीदास तो तुलसीदास थे, गर तुलसीदास न होते ।
    तो हम रामचरितमानस ग्रंथ को कैसे अध्ययन कर पाते।।

      1. मैडम हमने तुलसीदास व रामचरितमानस लिखा जरूर मगर मेरा भाव आपकी शेर से ही मिलता है। आप तुलसीदास व राभचरितमानस के पर्दे से बाहर आएं। आपको जवाब अवश्य मिलेंगे।

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