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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
तेरा सजदा – 29
तेरा सजदा – 29 कोई तरतीब से तुझे धियाता कोई बिन तरतीब तुझमें समाता ….. यूई
तेरा सजदा – 79
तेरा सजदा – 79 कोई तुझको ख़ुद पे नाज़ करा जाता कोई ख़ुद को ही दागदार करा जाता …… यूई
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
कुछ मुझमे सीरत है तेरी
‘कुछ मुझमे सीरत है तेरी, कुछ तुझमे अब है असर मेरा.. तू रह गुज़र सी है मुझमे, सब तुझसे ही है बसर मेरा.. कभी सफर…
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